What Does सफेद मूसली के लाभ Mean?



यदि आप जल्‍दी थक जाते है या आप शारीरिक रूप से कमजोरी का अनुभव करते है तो इसका इलाज सफेद मूसली के रूप में किया जा सकता है। यह आपकी थकान और कमजोरी को दूर करने में आपकी मदद कर सकती है। इसके लिए आप सफेद मूसली के पाउडर और चीनी को दूध के साथ मिलाकर सेवन करें। यह आपमें नई ऊर्जा का संचार करने में मदद करेगी। (और पढ़े – कमजोरी और थकान के कारण, लक्षण और इलाज)

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मधुमेह का वैसे तो कोई स्थाई उपचार नहीं है लेकिन सफेद मूसली मनुष्य के शरीर में शुगर के स्तर को बैलेंस रखने में मदद करती है। यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाती है और मधुमेह को नियंत्रित करती है। इसका सेवन करने से मधुमेह के रोगी को सेक्स करने में भी मदद मिलती है। यदि आप कमजोर, पतले या फिर सामान्य से कम वजन के हैं तो आपको दिन में दो बार दूध के साथ इसका सेवन करना चाहिए।

सफेद मूसली हमारे यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इसका का मुख्य कार्य ऊर्जा देना, हार्मोन की वृद्धि कर उनमें नियंत्रण करना और हमारे लिए शुक्राणूओं का उत्पादन करना साथ सेक्स के समय को बढ़ाना में मदद करना है।

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एक मजबूत कामोत्तेजक होने के अलावा, सफ़ेद मुसली का उपयोग प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में भी शामिल हो सकता हैं। यह शरीर को बीमारियों से लड़ने की एक बढ़ी हुई क्षमता प्रदान कर सकता हैं। यह संक्रमण से लड़ने और आपको स्वस्थ रखने में भी मदद कर सकता हैं।

आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी के साथ ही चिकित्सा की बहुत सी प्रणालियों में भारत की इस दुर्लभ जड़ी बूटी सफ़ेद मुसली का उपयोग किया जाता है।

बिजाई के कुछ दिनों के उपरांत ही पौधा उगने लगता है तथा इसमें पत्ते आने लगते है। इसी बीच फूल तथा बीज आते हैं तथा अक्टूबर-नवम्बर माह में पत्ते अपने आप सूखकर गिर जाते हैं और पौधे के कन्द जमीन के नीचे रह जाते है।

मुख्य रूप से सफेद मूसली की मूल (गांठ वाली जड़ों) का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके बीजों का भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक में मुख्य रूप से बल्य और बाजीकरण के लिए जड़ों का ही व्यवहार प्रचलित है। यह मूसली पाक का मुख्य घटक है जो इसी मकसद के लिए प्रयोग किया जाता है।

याद रखें- धैर्य महत्वपूर्ण हैं। आयुर्वेद ने समय website सेफेड मुसली जैसी जादुई औषधि का परीक्षण किया हैं जो आपके सभी स्वास्थ्य संकटों के लिए एक रामबाण जड़ी बूटी के रूप में कार्य करता हैं।

मूसली के फूलों का रंग सफ़ेद होता है। इसलिए इसे सफ़ेद मूसली कहा जाता है। वैसे तो यह जगलों में बारिश के मौसम में अपने आप ही उग जाती है, किन्तु इसके इतने चमत्कारिक फायदे होने की वजह से इसकी पुरे देश में खेती की जाने लगी है।

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